मंडल के अर्जित कोष का सदस्यों के साथ लेन-देन सम्बन्धी नियम (सन् 1960 के सविंधान के अनुसार)
1. मंडल के कोष का लेन-देन केवल सदस्यों के ही साथ होगा जो ऋण -रूप में सदस्यों को दिया जाएगा।
2. लेन देन का लेखा-जोखा हर माह की मासिक बैठक (द्वितीय रविवार) में होगा।
3. सदस्यों द्वारा लिया गया ऋण ब्याज सहित कोष में जमा करना होगा।
4. ब्याज की दर एक पैसा प्रति रुपया प्रति माह होगी।
5. लिये गये ऋण की किस्त कम से कम 20/- (बीस) रुपये होगी।
6. सभी ऋण सम्बन्धी प्रार्थना-पत्र मंत्री के नाम प्रेषित होंगे।
7. प्रार्थना पत्रों में उद्घृत आवश्यकताओं के ही आधार पर अथवा समयानुसार सदन के परामर्श से ही धन् ऋण-रूप में वितरित किया जाएगा।
8. आपतकालीन, संकटकालीन अथवा ग्राम-हित सम्बन्धी कार्यों में अधिक आर्थिक सहायता की स्थिति में लिए गये सम्पूर्ण ऋण को ब्याज सहित दिये गये नोटिस की तारीख में एक माह के भीतर अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।
9. यदि कोई सदस्य ऋण की किस्त जमा न कर सके तो उसे ऋण लिए गए माह को छोड़ कर अगले माह से दुगुना ब्याज देना होगा।
10. 50/- (पच्चास) रुपये से अधिक ऋण राशि कि लिए प्रार्थी को जमानत देने होगी।
11. किसी ऋणी सदस्य के दिल्ली से बाहर चले जाने पर मंडल को अवश्य सूचित करना होगा जिससे उस को दुगने ब्याज की छूट कम से कम दो माह के लिए दी जा सकेगी।
12. पिछला लिया हुआ ऋण तथा मासिक शुल्क पूरा-पूरा जमा होने पर ही नया ऋण मिल सकेगा।
13. यदि कोई सदस्य मासिक बैठक में कारण-वश उपस्थित न हो सके तो अपने मासिक शुल्क, किस्त व ब्याज को अन्य किसी भी सूत्र द्वारा अवश्य जमा करना होगा।
14. प्रत्येक सदस्य का व्यक्तिगत खाता होगा जो किसी भी समय देखा जा सकेगा।
15. प्रत्येक सदस्य को 1/- (एक) रुपया प्रति माह मासिक शुल्क के रूप में हर माह की बैठक में अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।
16. कोष के आदान-प्रदान को सन्तुलित रखने के लिए कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त एक गणितज्ञ तथा एक निरीक्षक होगा।
17. ऋण पत्र मंडल द्वारा स्वीकृत प्रार्थना पत्र के फार्मों पर दिये जायेंगे।
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