माँ मानिला कत्यूरों की कुलदेवी हैं। कत्यूर राजा ब्रह्म देव ने उत्तराखंड में कई जगह अपनी कुलदेवी के मंदिर प्रतिस्थापित किये हैं। इसी आधार से ग्राम ईन्डा में भी कत्यूर राजा की कुलदेवी माँ मानिला के रूप में विराजमान है। यह मंदिर हमारे गांव से लगभग 1 किलोमीटर की चढ़ाई पर सुन्दर एवं रमणीक स्थान पर स्थित है जहां से उच्च हिमालय के दर्शन होते हैं। यह मंदिर उन्नीसवीं सदी में स्थापित किया गया।

26 जनवरी ‘1962 (गणतंत्र दिवस) से कई वर्षो तक लगातार भव्य मेला (कौतिक) माँ मानिला मंदिर परिसर में मनाया जाता रहा। पर पानी की उचित व्यवस्था न होने के कारण यह मेला बंद हो गया। इसका प्रमाण यह गाना आज भी कुमांऊँ मंडल में विद्यमान हैं “कसि का जानू ईना 26 जनवरी का दिना, मै लै आनु ईना 26 जनवरी का दिना”।

9 अगस्त ‘2006 को मां मानिला के नवीन मंदिर की पूजा-प्रतिष्ठा एवं नवीन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गयी। युवा संगठन ईन्डा दिल्ली द्वारा मां मानिला मंदिर के मुख्य द्वार पर एक विशाल घंटा 215 किलोग्राम का प्रतिष्ठित किया गया है जो कि इस समय संपूर्ण उत्तराखंड में सबसे ज्यादा वजन वाला घंटा है। मां मानिला के नवनिर्मित मंदिर हेतु तत्कालीन विधायक डॉ. प्रताप सिंह बिष्ट जी ने अपना महान योगदान दिया था। इसी आधार पर भ्रातृ मंडल दिल्ली ने अगस्त ‘2008 में महामाई का गुणगान एवं संपूर्ण भंडारे का आयोजन किया जो की एक यादगार भंडारा रहा।

माँ मानिला मंदिर में भ्रातृ मंडल दिल्ली द्वारा समय-समय पर पूजा अर्चना एवं भंडारा किया जाता रहा हैं।

अतः माँ मानिला की असीम अनुकम्पा हम सभी ग्राम बंधुओ पर सदा बनी रहे।

“जय माँ मानिला”


मां मानिला मंदिर फोटो गैलरी