जगत जननी माँ भगवती उत्तराखण्ड में कई रूपों में विद्यमान है। जिनका एक महान रूप हमारे गाँव ईन्डा में प्रतिष्ठित है। माँ जगत जननी हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं। जिन्हें नवदुर्गा, देवी, शक्ति, आदिशक्ति, माँ भगवती, माता रानी, माँ पार्वती, माँ परमेश्वरी, माँ परम सनातनी, माँ वैष्णवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। माँ जगत जननी को परम भगवती परब्रह्म बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली, ममतामई, मोक्ष प्रदायनी तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करती हैं। इसी आधार से माँ भगवती ने हमारे गाँव में दशकों पूर्व आई महामारी से मुक्ति दिलाई जिसका प्रमाण आज भी विद्यमान हैं। इस प्रकार माँ भगवती हमारे गाँव में “जय माँ शँरणा वाली” के रूप में विद्यवान हैं।
समय-समय पर ग्रामवासी माँ भगवती जी का भंडारा आयोजित करते रहे हैं। भ्रातृ मंडल दिल्ली द्वारा माँ भगवती के मंदिर का नवीनीकरण एवं पूरे टीले एवं पहाड़ को काटकर चौरसीकरण पर विचार-विमर्श कर ग्राम बंधुओं को इस कार्य के लिए प्रेरित किया गया। ग्राम बंधुओं ने स्वयं के श्रमदान से पूरे पहाड़ (टीले) का चौरसीकरण किया तथा तीनों मंदिरों की नवीन प्रतिष्ठा भी की और माँ भगवती की नव मूर्ति प्रतिष्ठित कर भंडारे का आयोजन किया। यह कार्य सन् 1988 में पूर्ण हुआ।
भ्रातृ मंडल दिल्ली द्वारा माँ भगवती मंदिर के नव निर्माण हेतु प्रस्ताव दिया गया। इसी आधार पर माँ जगत जननी का भव्य मंदिर सन् 2003 में बनकर तैयार हुआ। माँ भगवती मंदिर निर्माण में तत्कालीन ग्राम प्रधान महोदया श्रीमती धनुली देवी धर्मपत्नी स्व० श्री राम सिंह बिष्ट जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अतः 8 जून’ 2003 को नवनिर्मित माँ भगवती मंदिर की मंदिर प्रतिष्ठा एवं नवमूर्ति प्रतिष्ठा कर 13 अगस्त ‘ 2003 को एक यादगार भंडारा किया गया। युवा संगठन ईन्डा दिल्ली द्वारा माँ भगवती मंदिर प्रांगण में 101 किलोग्राम का घंटा चढ़ाया गया।
भ्रातृ मंडल दिल्ली द्वारा माँ भगवती मंदिर में समय – समय पर अगन्याव (अन्न की भैंट) चढ़ाना, महामाई का गुणगान एवं भंडारा करते आये हैं।
माँ भगवती की असीम अनुकम्पा हम सभी ग्राम बंधुओ पर सदा बनी रहे।
“जय माँ भगवती शँरणा वाली”