5 अप्रैल ‘1960 को रामनवमी के पावन दिन पर गाँव के प्रवासी बंधुओ ने “ग्राम ईन्डा भ्रातृ मंडल, दिल्ली” का गठन किया। “भ्रातृ मंडल” बनाने का मुख्य उद्देश्य ग्राम-हित हेतु भातृ भावना को पूर्ण रूप से स्थायित्व देने का सदा ध्यान रखना तथा ग्राम में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा नैतिक विकास कार्यो के लिए हर संभव प्रयत्नशील रहना।

भ्रातृ मंडल के नियम बहुत ही सरल हैं। किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करना हो या चाहे ग्राम निर्माण हेतु कोई कार्य हो यह मंडल उस कार्य को करने में भगवान की सेवा की सोच रखता है। एक बाप के बेटे तथा एक डाल के पक्षी के रूप में मंडल हमेशा संगठित रहने का वचन देता है। मंडल में किसी भी कार्य को प्रभु की सेवा मानकर चलने की प्रतिज्ञा लेता है। अपने निहित स्वार्थ को त्यागकर जैसे एक पुजारी अपने पैर के जूते या चप्पल बाहर उतारकर अच्छे भावों के साथ मंदिर में आराधना करता है, उसी प्रकार मंडल हमेशा अपनी कार्यप्रणाली को कायम रखने की प्रतिज्ञा करता है।

सर्वप्रथम भ्रातृ मंडल ने गाँव वालों को ग्राम में रामलीला का आयोजन कराने हेतु सुझाव दिया। ग्रामवासियों ने दिल्ली वासियों को इस सुझाव की स्वीकृति दी तथा रामलीला का संपूर्ण सामान दिल्ली प्रवासी बंधुओं द्वारा लिया गया। सन् 1961 के मई माह में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के गुणानुवाद का आयोजन किया गया। भ्रातृ मंडल एवं ग्रामवासी बंधुओं द्वारा मिलकर एक भव्य रामलीला समारोह का आयोजन किया गया जो एक यादगार समारोह के रूप में संपूर्ण हुआ। भ्रातृ मंडल दिल्ली के सदस्य उस समय भ्रातृ मंडल के कोष में आर्थिक सहायता हेतु प्रति माह 25 पैसे जमा करते थे जो समय-समय पर क्रमशः संशोधित कर 50 पैसे, 1 रुपया, 2 रुपये, 11 रुपये, 20 रुपये तथा अब 50 रुपये मासिक कर दिया गया है।

ग्राम – हित के भाव से उठाये गए कदमों द्वारा ही आज गाँव में सड़क, शिक्षा, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। भ्रातृ – मंडल द्वारा गाँव के निवासियों की और गाँव की बेहतरी के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं को अपनाया और कार्यान्वित किया है। गाँववासियों ने न केवल गाँव की उन्नति की तरफ कदम बढ़ाएं हैं बल्कि अपने गाँव के देवी – देवताओं की तरफ भी अपने आप को पूर्णरूप से अर्पण किया है जिसके स्वरुप गाँव के प्रमुख देवालयो को बड़े भव्य रूप से निर्मित किये हैं और जिनमें समय-समय पर जागरी, पूजा – अर्चना एवं भंडारे कराये जाते हैं। तथा समय-समय पर होली-मिलन, दिवाली-मिलन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामलीला आयोजन आदि सांस्कृतिक कार्यकर्मो को कार्यान्वित किया जाता हैं।

उद्देश्य

भ्रातृ मंडल का मुख्य उद्देश्य ग्राम-हित हेतु भ्रातृ-भावना को पूर्ण रूप से स्थायित्व देने का सदा ध्यान रखना
तथा ग्राम में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा नैतिक विकास के लिए हर संभव प्रयत्नशील रहना।

ग्राम ईन्डा भ्रातृ मंडल दिल्ली के सभी सदस्यों द्वारा हर महीने के दूसरे रविवार को बैठक आयोजित की जाती है जिसके अंतर्गत ग्राम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्यो पर विचार – विमर्श तथा उन कार्यो को कार्यान्वित करने के लिए योजना एवं दिशा निर्देश तय किये जाते हैं।

भ्रातृ मंडल के स्थापक

भ्रातृ मंडल के नीवधारकों की सूची का विवरण:

1. स्व० श्री नंदन सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री नर सिंह बिष्ट
2. स्व० श्री नर सिंह बिष्ट
3. स्व० श्री अनोप सिंह बिष्ट
4. स्व० श्री कुंदन सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री दीवान सिंह बिष्ट
5. स्व० श्री प्रताप सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री चन्दन सिंह बिष्ट
6. स्व० श्री दान सिंह बिष्ट
7. स्व० श्री महेन्द्र सिंह बिष्ट
8. स्व० श्री चन्दन सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री उदय सिंह बिष्ट
9. स्व० श्री केशर सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री हयात सिंह बिष्ट
10. श्री रतन सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री दान सिंह बिष्ट
11. श्री गंगा सिंह बिष्ट सुपुत्र स्व० श्री नारायण सिंह बिष्ट

मंडल उन महान विभूतियों का आभार प्रकट करता है। जिन्होंने मंडल के गठन में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया। उन महान विभूतियों को मंडल शत-शत नमन करता है और वचन देता है कि जो जलता दीपक वे महान विभूतियां हमारे लिए छोड़ गये हैं यह मंडल उस दीपक में अनंतकाल तक तेल डालने का कार्य करता रहेगा ताकि उस दीपक की ज्योति अनंतकाल तक प्रज्वलित रहे। अतः इसी आधार पर ग्राम ईन्डा भ्रातृ मंडल को 11 मई ‘ 2012 को तत्कालीन कार्यकारिणी द्वारा दिल्ली सरकार के आधीन पंजीकृत किया गया। अब यह एक पंजीकृत संगठन है। जिसका लेखा-जोखा विवरण वर्ष में चार्टर्ड अकाउंटेंट (C.A.) से सत्यापन करा कर पंजीकृत कार्यालय में जमा कराया जाता रहा है।