ग्राम ईन्डा भ्रातृ मंडल, सविंधान ‘1960

1. इस संस्था का नाम “ग्राम ईन्डा भ्रातृ मंडल” होगा । ग्राम में अथवा अन्यत्र स्थित प्रत्येक कुटुम्ब को भ्रातृ मंडल में केवल एक ही सदस्य का स्थान प्राप्त हो सकेगा।

2. (a) एक ही कुटुम्ब के एक से अधिक सदस्य बनने पर उस कुटुम्ब को ग्राम का विशेष शुभ-चिन्तक माना जाएगा।

3. मंडल का सदस्यता-शुल्क 1/- (एक) रुपया मासिक प्रति सदस्य होगा जो प्रत्येक सदस्य को हर माह के मध्य तक कोषाध्यक्ष के पास जमा करना होगा।

4. यदि कोई सदस्य अपने रोजगार से अवकाश पर दिल्ली से बाहर चार महीने तक रह कर पुनः वापस आ गया हो तो उसे पिछले बकाया शुल्क के साथ नया शुल्क सुविधानुसार कोष में जमा करना होगा।

5. यदि कोई सदस्य चार महीने से अधिक समय के लिए दिल्ली से बाहर रहा हो और पुन: दिल्ली लौटे आया हो तो उसकी इच्छानुसार ही पिछला बकाया शुल्क जमा किया जाएगा अन्यथा 1/- (एक) रूपया अतिरिक्त शुल्क जमा कर नई सदस्यता प्राप्त की जा सकेगी।

6. नगरों में स्थित, ग्रामनिवासी व्यक्ति भी मंडल की सदस्यता ग्रहण कर सकेगा। परन्तु नियम संख्या 4 व 5 उस पर लागू नही होंगे।

7. प्रत्येक निस्वार्थ सदस्य व निःशुल्क कार्यकर्ता के अधिक से अधिक ग्रामोन्नति सेवाओं के लिए मंडल द्वारा उसके प्रति विशेष सम्मान प्रकट किया जाएगा।

8. कार्यकारिणी की बैठक प्रत्येक माह के द्वितीय सप्ताह में होंगी और वार्षिक अधिवेशन वर्षारम्भ के प्रत्येक शुभ-दिवस “रामनवमी” को होगा।
9. प्रत्येक सदस्य को किसी भी समय आय-व्यय के निरीक्षण करने अथवा कोषाध्यक्ष से जानकारी प्राप्त करने का पूरा-पूरा अधिकार होगा।

10. मंडल में शिक्षित-अशिक्षित; धनी-निर्धन तथा वर्णो के मेद-भाव को नष्ट कर प्रत्येक सदस्य को समानाधिकार होंगे।

11. मंडल द्वारा ग्राम की आदर्शता तथा रमणीयता को ध्यान में रखते हुए निम्न चरित्र निर्माण व सुधार कार्यों की सुव्यवस्था के लिए एकमत हो कर ग्राम पंचायत की साग्रह सहायता की जा सकेगी :-

(i) सम्पूर्ण मार्गों की मरम्मत व सुव्यवस्था।

(ii) प्रत्येक जलाशय की शुद्धि व सुरक्षा।

(iii) ग्राम व ग्राम के चारों ओर शुद्ध वायु मंडल के लिए सफाई का विशेष ध्यान।

(iv) ग्राम के अन्तर्गत, ईंधन, घास, खाद व यथेष्ट जल प्राप्ति हेतु तथा न्यूनतम भूसंरक्षण के लिए जंगलों सम्पूर्ण निजी अथवा पंचायती वृक्षों का निर्माण, सुव्यवस्था तथा सुरक्षा।

(v) प्रत्येक देवालय व ग्राम देवता के पूजनीय स्थानों की स्वच्छता व सुरक्षा।

(vi) साल में होली, दशहरा, दीवाली अथवा अन्य धार्मिक उत्सवों के अवसर पर सामूहिक पूजा-पाठ, भजन, संकीर्तन तथा नाटक, ड्रामा, प्रहसन आदि के लिए रंगमंच की स्थापना।

(vii) ग्राम देवता अथवा कुल देवता के सात्विक पूजा-अर्चन हेतु वेद व शास्त्रों के तरीक़े से पूजा वृत्ति की रुढ़िवादी तरीक़ो को समाप्त किये जाने सम्बन्धी प्रचार कार्य तथा उत्तम चरित्र निर्माण पर बल दिया जाना।

(viii) आधुनिक वैज्ञानिक युग तथा प्राचीन आध्यात्मिक युग का सामंजस्य कर मानव धर्म को ध्यान में रखते हुए, ग्राम के अथवा मंडल के किसी भी सदस्य द्वारा किये गये अवांछनीय कार्यो, कुरीतियों व रुढ़िवादिता, अभद्रता के प्रति मंडल द्वारा रोष व घृणा प्रकट कर रोकथाम करने का प्रयत्न।

12. ग्राम के प्रत्येक बालक व बालिका को कम से कम प्राथमिक-शिक्षा प्राप्ति को पाठशाला भेजने के लिए ग्राम पंचायत तथा संरक्षकों से अनुरोध करना।

(a) प्राथमिक शिक्षा-प्राप्ति के लिए असमर्थ बच्चों के शिक्षा शुल्क आदि की व्यवस्था मंडल द्वारा की जा सकेगी।

13. प्रत्येक कुटुम्ब सदस्य के संकट कालीन+ समय में मंडल द्वारा ग्राम पंचायत की सहायता से विचार कर ऋण के रूप में उचित आर्थिक व खाद्य वस्तुओं को प्रदान कर सेवा की जा सकेगी।

+ संकट काल की परिभाषा:-

(1) निःसहाय नाबालिक।
(2) देवी प्रकोप।

14. मंडल को सुव्यवस्थित ढंग व सुचारू रूप से प्रसारित व प्रचारित करने के लिए निम्न पदाधिकारियों का सदस्यों के समानाधिकार मतों द्वारा वार्षिक निर्वाचन होगा। सम्पन मत प्राप्ति पर तत्कालीन सभापति को एक विशेष मत प्रदान का अधिकार होगा :-

(1) प्रधान (2) उप प्रधान (3) मंत्री
(4) कोषाध्यक्ष (5) उप मंत्री (6) प्रचारक स्थान -2

कार्यकारिणी के सदस्य स्थान – 6

योगः- तेरह

15 . मंडल कि सम्पूर्ण धन् को सभी सदस्यों से एकत्रित कर कोषाध्यक्ष अपने कोष में स्थाई व्यवस्था न होने तक सुरक्षित रख सकेगा जो मंडल द्वारा स्वीकृत नियमों के आधार पर ग्रामोन्नति, चारित्र निर्माण, आवश्यकीय वस्तुओं को जुटाने तथा ग्राम के प्रगतिशील सुथार कार्यों पर ही व्यय किया जा सकेगा।

16. प्रत्येक धन्-राशि की व्यय करने हेतु प्रधान के समर्थन से मंत्री कार्यकारिणी की किसी भी बैठक में प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेगा और कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के आधार पर ही कोषाध्यक्ष को धन् प्राप्ति कि लिए आज्ञा पत्र प्रेषित कर सकेगा और कोषाध्यक्ष को निर्दिष्ट अवधि तक स्वीकृत धन् को कोष से प्रदान करना होगा।

17. कार्यालय तथा कोष सम्बन्धी सम्पूर्ण कागज़ों, रजिस्टरों मुहरों, आय-व्यय का विवरण व चिट्ठौं तथा तमाम कार्य विधियों के लिए क्रमश: प्रधानमंत्री और कोषाध्यक्ष उत्तरदायी होंगे।

18. आवश्यकतानुसार उपरोक्त नियमों में समयानुकूल संशोधन किया जा सकेगा।

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