माँ भगवती मंदिर
जगत जननी माँ भगवती उत्तराखण्ड में कई रूपों में विद्यमान है। जिनका एक महान रूप हमारे गाँव ईन्डा में प्रतिष्ठित है। माँ जगत जननी हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं।
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जगत जननी माँ भगवती उत्तराखण्ड में कई रूपों में विद्यमान है। जिनका एक महान रूप हमारे गाँव ईन्डा में प्रतिष्ठित है। माँ जगत जननी हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं।
माँ मानिला कत्यूरों की कुलदेवी हैं। कत्यूर राजा ब्रह्म देव ने उत्तराखंड में कई जगह अपनी कुलदेवी के मंदिर प्रतिस्थापित किये हैं। इसी आधार से ग्राम ईन्डा में भी कत्यूर राजा की कुलदेवी माँ मानिला के रूप में विराजमान है।
जगत जननी माँ महांकाली की उत्तराखण्ड में कई रूपों में उपासना की जाती है जो माँ भगवती का ही एक उच्च रूप है यह माँ जगदम्बा अनेकानेक रूपों में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विद्यमान हैं इनका अवतरण हमारे गांव में सन् 2008 में हुआ।
माँ कालिका भी शक्ति के एक रूप में उत्तराखण्ड में कई जगह विद्यमान (मौजूद) है। यह माँ दुर्गा एवं भगवती का ही प्रचंड रूप हैं। हमारे गाँव में माँ कालिका का मंदिर भगवती मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर स्थित है।
देव भूमि उत्तराखण्ड में सभी देवी – देवताओं का निवास है। जिसमें नरंकार देवता को “बड़े-देवता” के रूप में पूजा जाता है। इन्हें भगवान शंकर का ही रूप माना जाता है।
उत्तराखण्ड में ग्वेल देवता को न्यायकारी राजा गोरिया देवता के रूप में माना जाता है। आज भी चितई ग्वेल अल्मोड़ा तथा गोलू देवता घोड़ाखाल के मंदिरो में चिठ्ठी (पत्र) लिख कर अपनी मनोकामना दर्ज़ की जाती है
उत्तराखण्ड को आदिकाल से “देवभूमि” अर्थात देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। इसी आधार पर उत्तराखण्ड के लगभग सभी गाँवों में भूमि – देवता का मंदिर है।
उत्तराखण्ड में भगवान शिव जी के कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास कई वर्षो पुराना है हमारे गाँवों में स्थित मड़किया महादेव मंदिर भी एक स्वनिर्मित मंदिर है यह महादेव का एक ऐसा स्थान है जो स्वयं निर्मित हुआ है।
“बजरंग बली जी” का मंदिर हमारे गाँवों से लगभग 1 किलोमीटर की चढ़ाई पर माँ मानिला मंदिर से थोड़ा पहले स्थित है यह मंदिर भी सुन्दर चीड़ के घने पेड़ों के बीच में निर्मित है।