उत्तराखण्ड में ग्वेल देवता को न्यायकारी राजा गोरिया देवता के रूप में माना जाता है। आज भी चितई ग्वेल अल्मोड़ा तथा गोलू देवता घोड़ाखाल के मंदिरो में चिठ्ठी (पत्र) लिख कर अपनी मनोकामना दर्ज़ की जाती है और ऐसी मान्यता है की वह मनोकामना पूर्ण हो जाती है तथा जो भी न्याय माँगा जाता है वह मिलता है। गोलू देवता को भैरव (शिव जी) का अवतार माना जाता है। उत्तराखण्ड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं जो की इस प्रकार हैं :- चितई गोलू मंदिर, गौराड़ गोलू मंदिर, घोड़ाखाल गोलू मंदिर, चम्पावत ग्वेल मंदिर, मँणी ग्वेल मंदिर ईन्डा, चमड़खान ग्वेल मंदिर, लाटा ग्वेल मंदिर खड़खेत – मिल्लेख तथा पौड़ी गढ़वाल में कंडोलिया मंदिर आदि।

धूमाकोट के महा प्रतापी राजा हालराय की आठवीं रानी कलिंगा से इस महान न्यायकारी राजा गोरिया (ग्वेल) का जन्म हुआ था। हमारे गाँवों में स्थित मंणी ग्वेल देवता मंदिर भी प्राचीन समय से है जिसे सन् 2002 में नवनिर्मित किया गया तथा राजा गोरिया की एवं उनके अंगरक्षक कलुवावीर की मूर्ति प्रतिस्थापित की गयी।

समय – समय पर ग्वेल मंदिर में पूजा अर्चना तथा जातरा एवं भंडारा आदि किया जाता है।

इस महान न्यायकारी ग्वेल देवता का आशीर्वाद हम सभी ग्राम बंधुओं पर सदा बना रहे।

“जय गोलू महाराज की